ये कहानी आज से 7 साल पहले की है और सच्ची है, हम उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर मे रहते थे, मेरी मा तब 38 साल की थी और मैं 18 साल का था, इस एज मे भी मेरी मा मोटी नही थी, उनका कर्वी फिगर था, लंबे काले बाल, कलर गोरा और माल भरा भरा था, कॉलोनी के सभी मर्द और लड़के मेरी मा को बहुत लाइन मारते थे और उनको याद कर के मूठ भी मारते थे और लड़को ने मेरी मा का नाम सविता भाभी रखा था.
हम छोटेसे घर मे रहते थे, इसलिए मुझे अपने मा पापा के साथ ही सोना पड़ता था, मेरी मा मेरे और पापा के बीच मे सोती थी, वैसे तो कभी रात मे मेरी नींद नही खुलती थी पर उस दिन अचानक खुल गयी, क्यूकी ग़लती से मेरी मा का हाथ मुझे लग गया था, पापा मा को बहुत ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे और मा बहुत तड़प रही थी और यहा वाहा हाथ पटक रही थी.
मैने देखा की झीरो वॉट का बल्ब ऑन है, मुझे हिलता देख वो कुछ देर के लिए रुक गये, फिर मा से रहा नही गया और वो पापा के उपर चढ़ के अपनी गॅंड उपर नीचे करने लगी और आअह्ह उफ़फ्फ़ की आवाज़ भी कर रही थी, ये सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया, अब मैं भी अपनी मा को चोदना चाहता था, तो कुछ देर बाद मा पापा झढ़ गये और सो गये, फिर मुझे रात भर नींद नही आई, सुबह पापा जल्दी उठ कर घूमने चले गये, फिर मैं उठ कर देखा की मा मेरी तरफ गॅंड कर के अभी भी नंगी सो रही है, मा ने चादर ऑडी हुई थी, बट उनको ये नही पता था की पीछे से उनकी गॅंड ढकी हुई नही है, मैं काफ़ी देर तक उनकी गोरी चिकनी गॅंड को देख कर अपना लंड हिलाता रहा, फिर मैने बाथरूम मे जा के मूठ मार ली, जब लौट के आया तब तक मा ने सारे कपड़े पहन लिए थे.
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अब मेरा किसी काम मे मन नही लगता था, मुझे मा की गॅंड याद आती थी, मैं मूठ मारते हुए उन्ही को याद करता था, मैं अपनी मा के दूध दबाना चाहता था, मैने कभी किसी के साथ सेक्स नही किया था, पर अब मैं सबसे पहले अपनी मा को चोदना चाहता था, अब रोज रात मे मेरी नींद खुल जाती थी, मा के मूह से आ अफ की आवाज़ सुन कर मुझे बहुत अछा लगता था, उनकी बहुत सेक्सी आवाज़ थी.
एक दिन सुबह सुबह मेरे पापा मेरी मा से नाराज़ थे, मैं सोने का नाटक कर रहा था, बहुत देर बाद पापा ने मा से कहा की तुम कभी मेरा लंड क्यू नही चुस्ती हो, मा ने कहा मुझे लंड चूसना नही आता ना ही अछा लगता है.
उसी दिन पापा को ऑफीस के काम से एक हफ्ते के लिए बाहर जाना था, पापा को गये हुए अभी 3 दिन ही हुए थे और मेरा नंबर लग गया, मा दोपहर मे नहा रही थी, कुछ देर बाद मा ने मुझे बाथरूम से आवाज़ दी तो मैं बाथरूम के सामने जा के खड़ा हो गया, मा ने गेट खोला तो मेरे सामने मेरी मा सिर्फ़ पेटिकोट पहने खड़ी हुई थी, पेटिकोट बूब्स के उपर से घुटनो तक लटका था, मा ने दोनो हाथो से पेटिकोट पकड़ा हुआ था, पेटिकोट पूरा गीला था तो मा के निप्पल्स दिख रहे थे, उनका क्लीवेज भी दिख रहा था.
मा ने कहा की पीठ पर बहुत मैल लग रही है तो तुम सॉफ कर दो, ये सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया, मैं अंदर गया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया, मा बैठ गयी और मैं उनके पीछे हाथ मे साबुन ले कर बैठ गया, मा की गोरी और चिकनी पीठ देख कर मुझसे अब और कंट्रोल नही हो रहा था, मैं उनकी लंबी चिकनी और कोमल पीठ पे साबुन लगा के अपने दोनो हाथ रगड़ रहा था.
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जीतने ज़्यादा मेरे हाथ पीठ पर फिसल रहे थे मुझे उतना ज़्यादा मज़ा आ रहा था, धीरे धीरे मैं अपने हाथो को मा के कंधे मलते हुए उनकी गर्दन के नीचे ले गया और बूब्स की तरफ हाथ बढ़ाने लगा, तो मा ने मेरे हाथ रोक दिए और पेटिकोट छूट के सरक गया, अब पीछे से फिर से मुझे उनकी गॅंड दिख रही थी, फिर मैने भी अपनी शर्ट उतार दी और धीरे से मा को पीछे से पकड़ लिया, तभी मा ने उपर से शोवेर चालू कर दिया, मा के साथ मैं भी भीग गया, मा ने कहा अब तुम भी नहा लो, तो मैने भी अपनी पैंट उतार दी.
अब मैं सिर्फ़ अंडरवेर मे था और मा ने अभी भी पेटिकोट से सब ढका हुआ था, मेरा लंड अभी भी खड़ा था और अंडरवेर से बाहर निकल रहा था, मा भी मेरा लंड देख रही थी, पर कुछ नही कह पा रही थी, बस उसने इतना ही कहा की मैं तेरी मा हू, तुझे मेरे बारे मे एसा नही सोचना चाहिए, फिर मैने मा से पूछा की जिस दिन पापा जा रहे थे उस दिन वो आप से गुस्सा क्यू थे, तो मा ने कहा की बेटा तेरे पापा को खुश करना बहुत मुश्किल है, तो मैने कहा की मैं आपको सीखा दूँगा की पापा को कैसे खुश रखना है.
मा ने मेरी तरफ़ देखा और कहा की क्या तू जानता है की तेरे पापा क्यू गुस्सा थे, मैने एग्ज़ाइट्मेंट मे कह दिया की हान मैं जानता हूँ और आपको सीखा सकता हूँ की लंड कैसे चूस्ते है, मा बहुत गुस्सा हुई और बोली की तू ये सब सीख रहा है आज कल, तुझे बाहर पढ़ने भेज देगे तब तू सुधरेगा और वो जल्दी जल्दी नहा के चली गयी और रात को भी वो मेरे साथ नही सोई, मैं रात मे बार बार उठ कर उनको देखने जाता था, क्यूकी मुझे नींद नही आ रही थी.