छोटा भाई मेरी चुत का चोदू बना – Hindi Sex Stories

भाई बहन सेक्स कहानी में पढ़ें कि एक रात मैंने अपने छोटे भाई को मुठ मारते देखा तो मुझे लगा कि मैं भी अपने भाई से मजा ले सकती हूँ. तो मैंने क्या किया?

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दोस्तो, मेरा नाम आशना है. मेरा छोटा भाई अफ़रोज़ बारहवीं में पढ़ता है.
वह गोरा-चिट्टा और क़रीब मेरे ही बराबर लंबा भी है. मैं इस समय 21 साल की हूँ और वह 19 का है.

मुझे अपने भाई के गुलाबी होंठ बहुत प्यारे लगते हैं, दिल करता है कि बस चबा लूं.

लेखकों के लिए आवश्यक सूचना:

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असुविधा के लिए खेद है.

मेरे अब्बू गल्फ़ में हैं और अम्मी सरकारी जॉब में हैं. अम्मी जब जॉब की वजह से जब कभी शहर से बाहर चली जाती थीं तो रात के समय घर में बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे.

मेरा भाई मुझे बहुत प्यार करता है.

यह हमारी भाई बहन सेक्स कहानी है.

एक बार अम्मी सरकारी काम के चलते कुछ दिनों के लिए बाहर गयी थीं. उनकी चुनाव में ड्यूटी लग गयी थी. अम्मी को एक हफ़्ते बाद आना था.

उस रात मैंने भाई के साथ डिनर किया, इसके बाद कुछ देर टीवी देखा, फिर हम दोनों अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले गए.

क़रीब आध घंटे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी.

मैंने अपने बिस्तर के बगल की टेबल पर रखी बोतल को देखा, तो वह ख़ाली थी. मैं उठकर किचन में पानी पीने गयी.
लौटते समय देखा कि अफ़रोज़ के कमरे की लाइट ऑन थी और उसके कमरे का दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था.

मुझे लगा कि शायद वह लाइट ऑफ़ करना भूल गया है, मैं ही बंद कर देती हूँ.

मैं उसके कमरे में जाने लगी लेकिन खुले दरवाजे की झिरी से अन्दर का नज़ारा देख कर मैं हैरान हो गयी.

अफ़रोज़ एक हाथ में मोबाइल पकड़कर उसे पढ़ रहा था और दूसरे हाथ से अपने तने हुए लंड को पकड़कर मुठ मार रहा था.

मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम सा लगने वाला बारहवीं का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है.
दम साधे मैं चुपचाप खड़ी होकर उसकी हरकत देखती रही.

लेकिन तभी शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया.
उसने मेरी तरफ़ मुँह किया और दरवाज़े पर मुझे खड़ा देख कर चौंक गया.
वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया.

फिर उसने मुँह फेर कर मोबाइल को तकिए के नीचे छिपा दिया.

मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूं.
मेरे दिल में यह ख़्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शर्माएगा और बात करने से भी कतराएगा.
घर में इसके अलावा और कोई है भी नहीं, जिससे मेरा मन बहलता.

मुझे अपने दो साल पहले वाले दिन याद आ गए.
उस वक्त मैं और मेरा एक कजिन इसी उम्र के थे, जबसे हमने मज़ा लेना शुरू किया था, तो आज इसमें कौन सी बड़ी बात है कि आज अफ़रोज़ मुठ मार रहा है.

मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी … वह चुपचाप लेटा रहा.

मैंने उसके कंधों को दबाते हुए कहा- अरे यार, अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर लिया होता.
वह कुछ नहीं बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किए लेटा रहा.

मैंने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली- अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया. कोई बात नहीं, मैं जाती हूँ … तू अपना मज़ा पूरा कर ले. लेकिन ज़रा मोबाइल तो दिखा.

तकिए के नीचे से मैंने मोबाइल निकाल लिया.
उसमें हिंदी सेक्स कहानी की साईट अन्तर्वासना खुली हुई थी.

मेरा कजिन भी अन्तर्वासना पर बहुत सी सेक्स कहानी मुझे दिखाता था और हम दोनों ही आपस में एक दूसरे के मज़े लेने के लिए साथ-साथ सेक्स कहानी पढ़ते थे.
हम चुदाई के समय कहानी में लिखे डायलॉग बोलकर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे.

जब मैं मोबाइल उसे देकर बाहर जाने के लिए उठी तो वह पहली बार बोला- आपा, सारा मज़ा तो आपने ख़राब ही कर दिया, अब मैं क्या मज़ा करूंगा!
मैं- अरे अगर तुमने दरवाज़ा बंद किया होता तो मैं आती ही नहीं.
वो- अगर आपने देख लिया था तो आप चुपचाप चली भी जा सकती थीं.

अगर मैं अफ़रोज़ से बहस में जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कजिन क़रीब 6 महीने से नहीं आया था इसलिए मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती थी.
अफ़रोज़ मेरा छोटा भाई था और बहुत ही सेक्सी लगता था.
इसलिए मैंने सोचा कि अगर घर में ही अफ़रोज़ से मज़ा मिल जाए तो बाहर जाने की क्या ज़रूरत.

फिर अफ़रोज़ का लौड़ा अभी कुंवारा था. मैं अफ़रोज़ के साथ सेक्स करती, तो कुंवारे लंड का मज़ा पहली बार ले सकती थी.

इसलिए मैंने कहा- चल, अगर मैंने तेरा मज़ा ख़राब किया है … तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ.

फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटा दिया, उसके मुरझाए लंड को अपने हाथ में ले लिया.

उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लंड को पकड़ लिया था.
अब मेरे भाई को यक़ीन हो चुका था कि मैं उसका राज़ नहीं खोलूंगी, इसलिए उसने अपनी टांगें खोल दी थीं ताकि मैं उसका लंड ठीक से पकड़ सकूं.

मैंने उसके लंड को बहुत हिलाया डुलाया … लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ.

अफ़रोज़ बड़ी मायूसी के साथ बोला- देखा आपा … अब ये खड़ा ही नहीं हो रहा है.
मैं- अरे क्या बात करते हो. अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहां देखा है, मैं अभी अपने प्यारे भाई का लंड खड़ा कर दूंगी.

ऐसा कह मैं भी उसकी बगल में ही लेट गयी और उसका लंड सहलाने लगी.

मैंने उससे मोबाइल में सेक्स कहानी पढ़ने को कहा.

अफ़रोज़- आपा, मुझे शर्म आ रही है.
मैं- साले, अपना लंड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आई.

वो कुछ नहीं बोला तो मैंने उसे ताना मारते हुए कहा- ला मुझे दे मोबाइल … मैं पढ़ती हूँ.

मैंने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया और उसमें एक कहानी निकाली, जिसमें भाई बहन के सेक्स भरे संवाद थे.

मैंने अफ़रोज़ से कहा- मैं लड़की वाला डायलॉग बोलूंगी और तुम लड़के वाला.

मैंने पहले पढ़ा- अरे राजा … मेरी चूचियों का रस तो तुमने बहुत पी लिया … अब अपना बनाना (केला) शेक भी तो टेस्ट कराओ.
अफ़रोज़- अभी लो बहना … पर मैं डरता हूँ इसलिए कि मेरा लंड बहुत बड़ा है तुम्हारी नाज़ुक कसी हुई चुत में कैसे जाएगा?

बस इतना ही पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिए क्योंकि यहां हालात बिल्कुल उल्टे थे.
मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चुत बड़ी थी. उसका लंड छोटा था.

वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी देर के बाद ही उसके लंड में जान भर गयी और लंड तनकर क़रीब 6 इंच का लंबा और खासा मोटा हो गया.

मैंने उसके हाथ से मोबाइल लेकर कहा- अब इसकी कोई ज़रूरत नहीं. देख अब तेरा लंड खड़ा हो गया है. तू बस दिल में सोच ले कि तू किसी जवान लड़की की चुत चोद रहा है और मैं तेरी मुठ मार देती हूँ.

मैं अब उसके लंड की मुठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था. बीच बीच मैं सिसकारियां भी भरता जा रहा था.

एकाएक उसने चूतड़ उठाकर लंड ऊपर की ओर किया और बोला- बस आपा … मैं गया.

और उसी पल उसके लंड ने गाढ़ा पानी फैंक दिया जो मेरी हथेली पर आ गया.
मैं उसके लंड के रस को उसके लंड पर लगाती हुई उसी तरह सहलाती रही.

मैंने कहा- क्यों भाई मज़ा आया?
अफ़रोज़- सच में आपा, बहुत मज़ा आया.

मैं- अच्छा यह बता कि जब मैं तेरा लंड हिला रही थी तो तू अपने ख़्यालों में किसकी ले रहा था?
अफ़रोज़- आपा शर्म आती है … मैं बाद में बताऊंगा.

इतना कह उसने तकिए में मुँह छिपा लिया.

मैं- अच्छा चल अब सो जा, नींद अच्छी आएगी … और आगे से जब ये करना हो, तो दरवाज़ा बंद कर लिया करना.
अफ़रोज़- अब क्या करना दरवाज़ा बंद करके आपा … तुमने तो सब देख ही लिया है.
मैं- चल शैतान कहीं के!

मैंने उसके गाल पैर हल्की सी चपत मारी और उसके होंठों को चूम लिया.
मैं अभी उसे और किस करना चाहती थी पर आगे के लिए छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गई.

अपनी सलवार कमीज़ उतार कर मैं नाइटी पहनने लगी … तो देखा कि मेरी पैंटी बुरी तरह से भीगी हुई है.
अफ़रोज़ के लंड का पानी निकालते निकालते मेरी चुत ने भी पानी छोड़ दिया था.

अपना हाथ पैंटी में डालकर मैं अपनी चुत सहलाने लगी. हाथ का स्पर्श पाकर मेरी चुत फिर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया.

चुत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवाए अपनी उंगली के.

मैं बेड पर लेट गयी और चुत सहलाने लगी.
अफ़रोज़ के लंड के साथ खेलने से मैं बहुत उत्तेजित हो गई थी और अपनी प्यास बुझाने के लिए मैंने अपनी बीच वाली उंगली चुत की जड़ तक डाल ली.
मैंने तकिए को सीने से कसकर भींचा और जांघों के बीच दूसरा तकिया दबा आंखें बंद कर लीं.

अब अफ़रोज़ के लंड को याद करके मैं अपनी चुत में उंगली अन्दर बाहर करने लगी.
इस वक्त मुझ पर इतनी मस्ती छाई थी कि क्या बताऊं … मन कर रहा था कि अभी जाकर अफ़रोज़ का लंड अपनी चुत में डलवा लूं.

उंगली से चुत की प्यास और बढ़ गयी थी … इसलिए उंगली निकाल कर तकिए को चुत के ऊपर दबाया और औंधे मुँह लेटकर धक्के लगाने लगी.
बहुत देर बाद चुत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी.

सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था. लाख रगड़ लो चुत को तकिए पर … लेकिन चुत में लंड घुसकर जो मज़ा देता है, उसका कहना ही क्या है.

बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि अफ़रोज़ के कुंवारे लंड को कैसे अपनी चुत का रास्ता दिखाया जाए.

फिर उठकर मैं तैयार हुई. अफ़रोज़ भी स्कूल जाने को तैयार था. नाश्ते की टेबल पर हम दोनों आमने-सामने थे. नज़रें मिलते ही रात की यादें ताज़ा हो गईं और हम दोनों मुस्करा दिए.

अफ़रोज़ मुझसे कुछ शर्मा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूं. मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूंगी तो ये बिदक जाएगा … इसलिए चाहते हुए भी मैं कुछ ना बोली.

घर से बाहर चलते समय मैंने कहा- चलो आज तुम्हें अपने स्कूटर से स्कूल छोड़ देती हूँ.
वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया.

थोड़ा सकुचाता हुआ वह मुझसे अलग सा बैठा था. वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था.

मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया, तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और खुद को संभालने के लिए उसने मेरी कमर पकड़ ली.

मैं बोली- कसकर पकड़ लो … शर्मा क्यों रहे हो?
अफ़रोज़- अच्छा आपा.

उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया. उसका लंड कड़ा हो गया था और वह अपनी जांघों के बीच मेरे चूतड़ों को जकड़े था.

मैंने उसे छेड़ा- क्या रात वाली बात याद आ रही है अफ़रोज़?
अफ़रोज़- आपा रात की तो बात ही मत करो. कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल में भी शुरू हो जाऊं.

मैं- अच्छा मतलब बहुत मज़ा आया रात में!
अफ़रोज़- हां आपा इतना मज़ा ज़िंदगी में कभी नहीं आया. काश कल की रात कभी खत्म ही ना होती. आपके जाने के बाद मेरा फिर से खड़ा हो गया था, पर आपके हाथ में जो बात थी, वो कहां से आती. सो ऐसे ही पकड़ कर सो गया.

मैं- तो मुझे बुला लिया होता. अब तो हम तुम दोस्त हैं … एक दूसरे के काम आ सकते हैं.

मेरी बात सुनकर अफ़रोज़ का मुंह खुला का खुला रह गया.
उसने मेरी तरफ देख कर हैरानी जाहिर की तो मैंने उसे आंख मार दी.

दोस्तो, भाई बहन सेक्स कहानी का अगला भाग और भी रसीला होने वाला है. प्लीज़ आप इस सेक्स कहानी के लिए कमेंट्स करना न भूलें.